इस कॉमिक्स मासिक का निर्माण "वर्ल्ड कॉमिक्स इंडिया मराठवाडा क्लब" द्वारा जून २०१० में किया गया| यह कॉमिक्स "जनार्थ सामाजिक संस्था" इनके साथ की गयी व्यंगचित्रोद्वारा विशेष शिक्षण इस कार्यशाला के आधारपर बनाया गया है|
इस कॉमिक्स कथा में गाँव के चुनाव पर प्रकाश डालने की कोशिश की गयी है| कहानी कुछ इस प्रकार है,
गाँव में चुनाव होने वाले है| इस्सी लिए सभी पक्ष के उमेदवार प्रचार में लगे है| एक उमेदवार जो की माजी सरपंच है, वह प्रचार के लिए गाँव में निअकालता है| एक घर बाद एक घर इस तरह वह प्रचचार करता है| पर वह बिच में एक घर छोड़ देता है, जो की एक अंध व्यक्ति का है| इस पर उसका सहयोगी कार्यकर्ता उस माजी सरपंच को "एक घर छुट गया है!" यह जानकारी देता है| तब वह माजी सरपंच कहता है कहता है, "हमें उस घर से कोई लेना देना नहीं है, क्यों की उस घर में एक अंध व्यक्ति रहता है| वह व्यक्ति ठिकसे अकेले चल नहीं सकता, उसे चलने के लिए सहारे की जरूरत होती है, वो क्या हमें वोट करेगा उसके वोट की हमें जरूरत नहीं है"| यह बात वो अंध व्यक्ति सुन लेता है, और उस माजी सरपंच से बदला लेने की सोचता है| चुनाव के दिन गाववालोंसे उस अंध व्यक्ति को पता चलता है की, गाँव के चुनाव कार्यालय में अब्ब "ब्रेल लिपि" वाला मतदान यन्त्र लगाया है, जिससे अब अंध व्यक्ति भी मतदान कर सकते है| यह सुनकर वो बेहद खुश होता है, तब वह जाकर मतदान करता है| और अंत में माजी सरपंच वह चुनाव एक वोट से हर जाता है|
गाँव में चुनाव होने वाले है| इस्सी लिए सभी पक्ष के उमेदवार प्रचार में लगे है| एक उमेदवार जो की माजी सरपंच है, वह प्रचार के लिए गाँव में निअकालता है| एक घर बाद एक घर इस तरह वह प्रचचार करता है| पर वह बिच में एक घर छोड़ देता है, जो की एक अंध व्यक्ति का है| इस पर उसका सहयोगी कार्यकर्ता उस माजी सरपंच को "एक घर छुट गया है!" यह जानकारी देता है| तब वह माजी सरपंच कहता है कहता है, "हमें उस घर से कोई लेना देना नहीं है, क्यों की उस घर में एक अंध व्यक्ति रहता है| वह व्यक्ति ठिकसे अकेले चल नहीं सकता, उसे चलने के लिए सहारे की जरूरत होती है, वो क्या हमें वोट करेगा उसके वोट की हमें जरूरत नहीं है"| यह बात वो अंध व्यक्ति सुन लेता है, और उस माजी सरपंच से बदला लेने की सोचता है| चुनाव के दिन गाववालोंसे उस अंध व्यक्ति को पता चलता है की, गाँव के चुनाव कार्यालय में अब्ब "ब्रेल लिपि" वाला मतदान यन्त्र लगाया है, जिससे अब अंध व्यक्ति भी मतदान कर सकते है| यह सुनकर वो बेहद खुश होता है, तब वह जाकर मतदान करता है| और अंत में माजी सरपंच वह चुनाव एक वोट से हर जाता है|
- राहुल अरुणाकिशन रणसुभे
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